परमाणु बम आज दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक बन चुका है। इसकी विनाशलीला का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अगर कोई परमाणु बम किसी देश पर छोड़ दिया जाए, तो वहां की लाखों आबादी एक ही झटके में खत्म हो सकती है। वैसे तो दुनिया जानती है कि सबसे पहले परमाणु बम का इस्तेमाल 6 अगस्त, 1945 को किया गया था, जिसे जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराया गया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि महाभारत काल में भी ‘परमाणु बम’ का इस्तेमाल किया गया था और वैज्ञानिकों को इस बात का प्रमाण भी मिल चुका है।
महाभारत काल में परमाणु अस्त्र एवं दिव्यास्त्र होने की बात कही जाती है। क्या इन बातों में सचाई है? महाभारत काल पर विद्वानों ने कई पुस्तकें लिखी हैं और उनमें यह सिद्ध करने का प्रयास भी किया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच ही हमारी आज की टेक्नोलॉजी से कहीं ज्यादा उन्नत थी महाभारतकालीन टेक्नोलॉजी? आओ जानते हैं कि महाभारत काल में परमाणु अस्त्र होने के प्रमाणों के बारे में।
परमाणु बम का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने अपनी रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है कि परमाणु बम जैसे विनाशकारी हथियारों का इस्तेमाल महाभारत काल में भी हो चुका है।
महाभारत में इसका वर्णन मिलता है- ”तदस्त्रं प्रजज्वाल महाज्वालं तेजोमंडल संवृतम।।” ”सशब्द्म्भवम व्योम ज्वालामालाकुलं भृशम। चचाल च मही कृत्स्ना सपर्वतवनद्रुमा।।”
अर्थात ब्रह्मास्त्र छोड़े जाने के बाद भयंकर वायु जोरदार तमाचे मारने लगी।
💥 हजारों की संख्या में
उल्का आकाश से गिरने लगे।
💥भूतमात्र को भयंकर महाभय उत्पन्न हो गया।
💥 आकाश में बड़ा शब्द हुआ।
💥आकाश जलने लगा।
💥 पर्वत, अरण्य, वृक्षों के साथ पृथ्वी हिल गई।
💥हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम छोड़ा गया, तब ऐसा ही हुआ था।
💥 सबसे पहले तेज चमक ने सभी को अंधा कर दिया।
आधुनिक काल में जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)। रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 का बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण किया गया था।
इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर निकले थे कि महाभारत में जिस ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया गया था, वो आज के परमाणु हथियार के समान ही शक्तिशाली था।
शोधकार्य के बाद विदेशी वैज्ञानिक मानते हैं कि वास्तव में महाभारत में परमाणु बम का प्रयोग हुआ था। 42 वर्ष पहले पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने अपने शोधकार्य के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय जो ब्रह्मास्त्र इस्तेमाल किया गया था वह परमाणु बम के समान ही था। डॉ. वर्तक ने 1969-70 में एक किताब लिखी ‘स्वयंभू’। इसमें इसका उल्लेख मिलता है।
प्राचीन भारत में कहीं-कहीं ब्रह्मास्त्र के प्रयोग किए जाने का वर्णन मिलता है। रामायण में भी मेघनाद से युद्ध हेतु लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा तब श्रीराम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं, क्योंकि इससे पूरी लंका साफ हो जाएगी।
रामायण और महाभारत काल में ब्रह्मास्त्र सबसे खतरनाक हथियार माना जाता था। उस काल में कई योद्धाओं के पास ब्रह्मास्त्र थे। कहा जाता है कि जो व्यक्ति ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता था, उसके पास इसे वापस लेने की भी क्षमता होती थी, लेकिन द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र वापस लेने का तरीका याद नहीं था। इसलिए ब्रह्मास्त्र के छूटने के बाद भारी तबाही मची थी।
सिंधु घाटी सभ्यता पर हुई रिसर्च के मुताबिक, 5000 से 7000 ईसापूर्व हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो में ऐसे कई नरकंकाल मिले हैं, जिससे पता चलता है कि उन्हें किसी भयंकर अस्त्र से मारा गया था। इसके अलावा यहां ऐसे कई सबूत मिले हैं, जिससे ये पता चलता है कि किसी काल में यहां अत्यधिक मात्रा में रेडिएशन पैदा हुआ था, जितना किसी परमाणु बम के विस्फोट के बाद होता है।
Post Views: 70