जो जन्म लेगा वो मरेगा , ये प्राकृतिक का नियम है । लेकिन ये भी सच है कि कुछ मृत्यु को टाला जा सकता है , कुछ घण्टे, कुछ दिन, कुछ समय के लिये टाला जा सकता है । मैंने कही पढ़ा था की अगर इंसान अपनी चेतना को बनाये रखे तब तक उसकी मौत नही आती है , मौत तब आती जब इंसान बेहोश होने लगता है उसकी चेतना खत्म होने लगती है , उसकी चेतना ही शरीर के अंग को संचालित करते है ।
प्रकृति का नियम है कि जिसने जन्म लिया है वह मरेगा भी। इस नियम से सिर्फ इंसान ही नहीं भगवान भी बंधे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है भगवान विष्णु का राम और कृष्ण के रूप में अवतार धारण करना और पृथ्वी पर जन्म लेना फिर देह त्याग करके वापस अपने लोक लौट जाना। लेकिन शास्त्रों और पुरणों में कुछ ऐसी कथाएं मिलती हैं जिससे यह पता चलता है कि व्यक्ति भले ही मृत्यु के हाथों से बच नहीं सकता लेकिन उसे कुछ समय के लिए आगे जरूर टाल सकता है और दीर्घायु प्राप्त कर सकता है। कुछ आधुनिक शोध और प्रयोगों से भी यह पता चला है कि आप भले ही मृत्यु से बच नहीं सकते लेकिन कुछ वर्षों के लिए मौत को आगे टाल सकते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि मंत्रों में अद्भुत शक्ति होती है जिनसे मौत को मात दिया जा सकता है। इस संबंध में जिस मंत्र को सबसे शक्तिशाली माना गया है वह है महामृत्युंजय मंत्र। इस मंत्र के विषय में बताया जाता है कि इसमें इतनी शक्ति है कि मृत शरीर में भी जान फूक दे। ऐसी कथा है कि असुरों के गुरू शुक्राचार्य इस मंत्र से मरे हुए असुरों को जिंदा कर देते थे। इसी मंत्र से ऋषि मार्कण्डेय जिनकी मृत्यु सोलह वर्ष में होनी थी वह मौत को मात देने में सफल रहे थे। इसलिए आज भी जन्मपत्री में अल्पायु और अशुभ योग होने पर ज्योतिषशास्त्री इस मंत्र का जप करने और करवाने का सलाह देते हैं। माना जाता है कि इससे अशुभ योग और गंभीर रोग में लाभ मिलता है। इस मंत्र पर हुए शोध से भी यह पता चला है कि यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है।
आपने सुना होगा कि जब किसी आदमी को साँप काट लेता है या सर में कोई चोट लगती है तो लोग कहते है , इसको सोने मत देना , आखिर क्यों ये बात लोग कहते है । जब मैं ध्यान की गहराई में गया तो तीन दिन नही सोया , शरीर मे कोई थकान नही था , इसका कारण ये था कि मैं इन तीन दिन सिर्फ सोया आँख बंद करके , लेकिन चेतना मेरी बराबर जाग्रत रही , मुझे कॉस्मिक ऊर्जा मिलता था , जो गहरी नींद में मिलता है ।
इसका मतलब ये हुआ कि सोने से इसकी चेतना खत्म होने लगेगी जिससे ये मर सकता है ।
बस इसी बात को मुझे ध्यान था कि अगर चेतना उच्च होगी तो वो बेहोश नही होगी , अक्सर आदमी मरने के पहले बेहोश हो जाता है , अगर बेहोश न हो तो मृत्यु को टाला जा सकता है ।
अब मृत्यु को टाला ही जा सकता है , ये बात मैं पूरी तरह सच मानता हूँ क्योकि कोई भी ज्ञान विज्ञान नही बता सकता कि आदमी कब मरेगा , बस ये शरीर के धड़कन से ही बता सकते है की कब मरेंगे , जो मशीन में देखा जा सकता है , डाक्टर उसी के आधार पर मौत का अनुमान लगा देता है ।